Exclusive :अच्छी कहानी और निर्देशन मिलेगा तो दौड़ के जाऊंगा भोजपुरी फिल्मों- मनोज बाजपेई
फिल्म' सात उचक्के' में गाली एक्सप्रेशन का तरीका है, जिसे बिलकुल उसी तरह रखा गया है। मनोज का मानना है कि गालियां फिल्म को अश्लील नहीं बनाती हैं। पराग छापेकर, मुंबई । अभिनय की लंबी पारी खेल चुके मनोज बाजपेई को अब निर्देशक बनना है लेकिन इसके लिए उन्हें कोई अच्छी कहानी नहीं मिल रही। वो भोजपुरी फिल्मों में भी काम करना चाहते हैं, बशर्ते सबकुछ अच्छा हो। फिल्म ' सात उचक्के ' की रिलीज से पहले मनोज बाजपेई ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में अपनी कई इच्छाओं के बारे में खुलकर बात की। सात उचक्के एक मल्टीस्टारर नहीं , मल्टीएक्टर फिल्म हैं - मनोज कहते हैं " ये मल्टी एक्टर्स फिल्म है क्योंकि इस फिल्म में एक से बढ़कर एक धाकड़ कलाकार हैं। अन्नू कपूर, के के मेनन, विजय राज, अनुपम खेर,जतिन, विपुल और अदिति शर्मा जैसे बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करना बड़ा चैलेंजिंग भी रहा। ये सभी कलाकार ऐसे हैं जो सामने होने पर आपको सांस लेने का मौक़ा नहीं देतें हैं। सभी थिएटर से हैं, मध्यमवर्गीय परिवार से हैं , इसलिए एक-दूसरे को समझने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। फिल्म' सात उचक्के' के बारे में - मनोज ने बताया कि सात उचक्के एक टेढ़ी कहानी है। मेरा किरदार 'पप्पी' थोड़ा टेढा आदमी है लेकिन प्यार में पड़ने के बाद उसकी जान हराम हो गयी है क्योंकि होने वाली सास बार-बार धमकी देती है कि वो अपनी बेटी की शादी उसी से करेगी जो उसे ज्यादा से ज्यादा सोने के गहने देगा। ये कहानी पुरानी दिल्ली की है जो पूरी तरह पुरानी दिल्ली रंग-ढंग में डूबी है। पुरानी दिल्ली अपने आप में एक अलग शहर है, जो दूसरी जगह से अलहदा है और हमारी फिल्म में पुरानी दिल्ली यानी दिल्ली-6 एक कैरेक्टर की तरह है।
गालियां फिल्म को अश्लील नहीं बनाती - 'सत्या' और 'शूल' जैसी फिल्मों में काम कर चुके मनोज कहते हैं " मैं शुरू से क्लियर रहा हूँ की मुझे किस तरह का काम और किस तरह की फिल्म करनी है।ज्यादातर फ़िल्में यही इशारा करती हैं कि मैं जिस मंजिल में जाने के लिए निकला था वहीं पहुंचा हूं , बीच में कहीं भटका नहीं। फिल्म' सात उचक्के' में गाली एक्सप्रेशन का तरीका है, जिसे बिलकुल उसी तरह रखा गया है। मनोज का मानना है कि गालियां फिल्म को अश्लील नहीं बनाती हैं।
अब निर्देशन भी करेंगे मनोज बाजपेयी, कर रहें हैं कहानी का इंतज़ार - मनोज ने अपनी एक इच्छा जताते हुए बताया "मैं निर्देशन तभी करूँगा जब कोई कहानी मेरे अंदर के एक्टर से ज्यादा मेरे भीतर के डायरेक्टर को प्रोवोक करेगी। उसी समय मैं निर्देशन में हाथ आजमाऊंगा । आज-कल मुझे लगता है बहुत जल्दी कुछ ना कुछ आने वाला है। इन दिनों मेरे अंदर का निर्देशक बहुत कुलबुला रहा है लेकिन वो कहानी कब मिलेगी जिससे अंदर का निर्देशक सामने आएगा, मुझे उसका इंतज़ार है। वैसे ,मैं जानता हूं कि वो कहानी जल्द ही मेरे सामने आएगी।
भोजपुरी फिल्मो में ज़रूर काम करेंगे मनोज - बिहार के नरकटियागंज से आये मनोज बाजपेई के मुताबिक "अनुराग कश्यप और सुधीर मिश्रा अगर भोजपुरी फिल्म बनायेगे तो इस भाषा के सिनेमा में हर मामले में बहुत अच्छे सुधार होंगे।साथ ही भोजपुरी फिल्मों की कहानी कहने का अंदाज़ भी बदलेगा। अच्छे ढंग का काम होगा।" मनोज कहते है कि अगर अच्छी कहानी और निर्देशक मिलेगा तो वो भी दौड़ भोजपुरी फिल्मों में काम करने के लिए जाएंगे।
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